हनुमान जी ने क्यों लिया था पंचमुखी रूप? यहाँ पढ़ ले इसके पीछे की पूरी कहानी

Hanuman Ji Ne Panchmukhi Roop Kyo Liya Tha | परमभक्त हनुमान जी का मात्र नाम लेने से ही भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते है. अंजनी पुत्र हनुमान अपने भक्तों के सभी कष्टो को दूर करते हैं. मान्यता है कि बजरंगबली को खुश करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं करना होता. वह साधारण पूजा पाठ से ही प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं. आज के इस कलयुग में बजरंगबली को भक्तों का सहारा कहा जाता है. जो भी भक्तिपूर्ण निष्ठा भाव से भगवान के पास जाता है, भगवान उन्हें कभी निराश नहीं करते. ऐसे में हनुमान जी के दर पर जाने वाले भक्तों की झोली खुशियों से भर जाती है.

हनुमान जी ने क्यों लिया था पंचमुखी रूप

आज हम हनुमान जी के पंचमुखी रूप के बारे में बात कर रहे हैं. इस लेख में हम जानेंगे कि उन्होंने यह रूप क्यों लिया और इस रूप की पूजा करने से क्या फल मिलता है. बजरंगबली के पंचमुखी रूप के पीछे एक कथा जुड़ी हुई है. इस कथा के अनुसार कहा जाता है कि जब भगवान श्री राम के साथ रावण का युद्ध चल रहा था तो रावण को अपनी हार का आभास हो गया था. ऐसे में रावण नें अपने भाई अहिरावण से सहायता मांगी. इसके बाद, अहिरावण ने अपनी मायावी शक्तियों से श्रीराम की पूरी सेना को सुला दिया. वहीं, राम-लक्ष्मण को बंधी बनाकर पाताल लोक में ले गया.

जब सभी होश में आए तो विभीषण कों यह पूरी चाल समझ आई और उन्होंने हनुमान जी से पाताल लोक जाने को कहा. इसके पश्चात हनुमान, श्रीराम और लक्ष्मण कों खोजने पाताल लोक गए; जहां उन्होंने सबसे पहले मकरध्वज को हराया. इसके बाद, वह अहिरावण से युद्ध करने गए; लेकिन अहिरावण ने 5 दिशाओं में दीए जला रखे थे. अहिरावण को वरदान प्राप्त था कि जो भी यह 5 दीए एक साथ बुझा देगा, वही उसका वध कर सकता है. यह देख हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धारण किया और दीए बुझाकर अहिरावण का वध किया.

पंचमुखी हनुमान जी की पूजा करना होता है शुभ

इन पंच मुखों में उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की ओर हयग्रीव मुख व पूर्व दिशा में हनुमान मुख विराजमान है. पंचमुखी हनुमान जी की पूजा करना काफी शुभ माना जाता है. पंचमुखी हनुमान जी की पूजा अर्चना करने से जीवन के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं.

कहा जाता है कि यदि घर में पंचमुखी हनुमान की मूर्ति या फोटो लगाकर पूजा की जाए तो मंगल, शनि, पितृ व भूत दोष से मुक्ति मिलती है. ध्यान रहे कि इसकी प्रतिमा या तस्वीर दक्षिण दिशा में ही लगी हो.

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