श्री राम और हनुमान जी की मुलाक़ात कैसे हुई? यहाँ पढ़े इसके पीछे की पूरी कहानी

Ram Or Hanuman Ki Mulakaat Kaise Hui | आप सब जानते ही हैं कि हनुमान जी श्रीराम के परम भक्त है. हनुमान जी ने अपना सीना फाड़ कर भी सबको दिखा दिया था कि उनके हृदय में श्री राम और सीता माता का वास है. आज हम जानेंगे कि हनुमान जी और श्री राम जी की मुलाकात कैसे हुई थी? जैसा कि आप सब जानते हैं सीता माता का हरण रावण ने कर लिया था और श्री राम तथा लक्ष्मण जी सीता जी की खोज में निकले थे. उस समय हनुमान जी, सुग्रीव आदि वानरों के साथ ऋष्यमूक पर्वत की एक बहुत ऊंची चोटी पर बैठे थे.

Ram Or Hanuman Ki Mulakaat Kaise Hui
Ram Or Hanuman Ki Mulakaat Kaise Hui

श्री राम और हनुमान जी की मुलाक़ात कैसे हुई?

उसी समय सीता जी कों ढूंढ़ते हुए लक्ष्मण जी व भगवान श्री रामचंद्र जी ऋष्यमूक पर्वत के पास आए. ऊंची चोटी से वानरों के राजा सुग्रीव ने उन लोगों को देखकर सोचा कि इन दोनों कों बालि ने भेजा है. सुग्रीव ने सोचा कि वह हाथ में धनुष- बाण लेकर उसे मारने आ रहे हैं. डर के मारे उसने हनुमान जी से कहा- हनुमान, वह देखो, दो बहुत ही बलवान मनुष्य हाथ में धनुष- बाण लिए हमारी तरफ आ रहे हैं. लगता है इन्हें बालि ने भेजा है. यह चारों तरफ मुझे ही ढूंढ रहे हैं. तुम तुरंत तपस्वी ब्राह्मण का रूप बनाकर इन दोनों योद्धाओं के पास जाओ और पता लगाओ कि ये कौन हैं और यहां किस लिए आए है.

अगर तुम्हें कोई डर की आशंका हो तो मुझे संकेत दे देना, मैं उसी वक़्त इस पर्वत को छोड़कर कहीं और भाग जाऊंगा. हनुमान जी इस समय ब्राह्मण का वेश धारण करके श्री राम और लक्ष्मण के पास गए. उन्होंने दोनों को प्रणाम किया और पूछा कि आप यहां किस लिए घूम रहे हैं. हनुमान ने कहा कि आप की सुंदरता देखकर तो ऐसा लगता है जैसे कि आप ब्रह्मा, विष्णु, महेश में से कोई हों या नर और नारायण नाम के प्रसिद्ध ऋषि हों. कृपा करके आपका परिचय दीजिए.

इतनी मनमोहक बातें सुनकर भगवान श्री राम ने सारा वृत्तांत बताया. उन्होंने बताया कि वह कौन है और किस लिए यहां घूम रहे हैं. जब हनुमान जी को सारी जानकारी हुई तो वह समझ गए कि यह भगवान ही है और वह सीधा उनके चरणों में लेट गए. श्री राम ने हनुमान जी को उठाया और गले से लगा लिया. हनुमान जी ने राम और लक्ष्मण को अपने कंधे पर बैठाया और सुग्रीव के पास जाने लगे. फिर सुग्रीव के पास जाकर उन्होंने उनका परिचय करवाया. इस तरह हनुमान जी और श्री राम जी का परिचय हुआ.

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